क्या हम पहले से ही एलियन्स के कॉन्टैक्ट में हैं | क्या एलियन्स हमारे बीच मौजूद हैं

 दोस्तो हमारे वैज्ञानिक आधी सदी से ज़्यादा वक़्त से एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल यानी बाहरी दुनिया की सिविलाइज़ेशन्स से आने वाले रेडियो सिग्नल्स की तलाश में हैं। लेकिन यहां हमेशा से थोड़ी शांति रही है।


क्या वो हमें नज़रंदाज़ कर रहे हैं? या क्या एलियन्स पहले ही हमसे कॉन्टैक्ट कर चुके हैं? और ये हम जानते भी नहीं? सच हमारी नज़रों के ठीक सामने छुपा हो सकता है।


दोस्तो आज हम इन्ही सब सवालों का जवाब जानेंगे की "क्या हम पहले से ही एलियन्स के कॉन्टैक्ट में हैं | kya ham pahle se hi Aliens ke contact men hain | क्या एलियन्स हमारे बीच मौजूद हैं"


एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल जीवन कि खोज


क्या एलियन्स हमारे बीच मौजूद हैं
क्या हम पहले से ही एलियन्स के कॉन्टैक्ट में हैं | क्या एलियन्स हमारे बीच मौजूद हैं

1960 के दशक से "सेटी" (सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) के साइंटिस्ट्स के कान आसमान पर लगे हुए हैं ऐसे सिग्नल्स को सुनने के लिए जिनसे एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल जीवन के वजूद का पता चलता हो।


एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल रेडियो बर्स्ट्स सिग्नल्स


हाल में, अर्थ से 50 करोड़ लाइट-इयर्स की दूरी पर मौजूद मिल्की वे जैसी स्पाइरल गैलेक्सी से अजीब और एक जैसे अंतर पर आने वाले तेज़ रेडियो बर्स्ट्स मिल रहे हैं। कुछ साइंटिस्ट्स इस सोच में हैं कि स्पेस के ये धड़कते सिग्नल्स छोटे ब्लैक होल्स से आते हैं, पल्सार्स से या किसी एलियन मेगास्ट्रक्चर यानी बड़े ढांचे से।


लेकिन क्या ये सिग्नल्स असल में एलियन्स का हमसे संपर्क करने का तरीक़ा हो सकता हैं?


हार्वर्ड के साइंटिस्ट्स की थ्योरी के मुताबिक़ एक रेडियो सिग्नल को दूर की गैलेक्सी तक भेजने के लिए एक ज़रूरी एनर्जी के लिए अर्थ से दोगुना बड़े प्लैनेट के एनर्जी कलेक्टर्स से ढके होने की ज़रूरत होगी। हालांकि ये मुमक़िन है पर साइंटिस्ट्स ने एलियन्स के लिए हमसे बात करने का एक आसान तरीक़ा निकाला है।


एलियन्स से संपर्क करने का नया तरीका 


रॉबर्ट ज़ूब्रिन के मुताबिक़ इसमें छोटे-छोटे स्पेस के लाइट सेल्स यानी जहाज हो सकते हैं। इस बात को इस हद तक सच माना गया है कि ब्रेकथ्रू स्टारशॉट प्रोजेक्ट एक नैनो स्पेसक्राफ्ट पर काम कर रहा है। किसी दिन ये सीधा इन्हें अल्फा सेंटॉरी तक ले जाने की उम्मीद रखते हैं।


जहां छोटा स्पेसशिप बड़ी दूरियों तक जा सकता है बैक्टीरिया भी इस तरह के सफ़र में ज़िंदा बने रह सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक बैक्टीरिया के लिए ख़ुद के जैसा दूसरा बनाना आसान होता है। और जीवाणुओं के तौर पर ये इतने छोटे होते हैं कि तारों की ग्रैविटी से बच सकते हैं जिससे इनके लिए स्पेस की बड़ी दूरियों को पार करना मुमक़िन होता है।


काल्पनिक तौर पर एक छोटा नैनोक्राफ्ट अर्थ से छोड़ा जाएगा और ये हर 10,000 सालों में एक लाइट-इयर का सफ़र तय करेगा। 50,000 सालों में ये क़रीबी तारों तक पहुंच सकेगा। 


एलियन्स हम तक बैक्टीरिया क्यों भेजेंगे?


इसका जवाब डी.एन.ए में है। सिर्फ़ एक ग्राम (0.03 आउंस) बैक्टीरिया में 900 टेराबाइट्स जितना डी.एन.ए डाटा इनकोड किया जा सकता है। सोचिए एक 200 पन्नों की क़िताब। अब सोचिए ऐसी 2 अरब क़िताबें।


DNA में हो सकता है एलियन्स का मैसेज


माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स यानी जीव वैज्ञानिकों को लगता है कि एलियन के मैसेजेस शायद पहले से ही अर्थ पर डी.एन.ए के अंदर मौजूद हैं, और इंतज़ार कर रहे हैं ख़ुद के डीकोड होने का।


रिसर्चर्स का कहना है कि ये मैसेजेस खोजने के लिए ये पता किया जा सकता है कि कौन-सा बैक्टीरिया स्पेस के हालात में ज़िंदा बच सकता है। बल्कि आई.एस.एस के कुछ एस्ट्रो बायोलॉजिस्ट्स यानी अंतरिक्ष जीव वैज्ञानिकों ने ये देखने के लिए एक्स्पेरिमेंट किया कि क्या अर्थ पर मौजूद सारा जीवन किसी तरह के एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल जीवाणुओं से आया हो सकता है। 


पैंसपर्मिया नाम की थ्योरी के मुताबिक़ जीवाणु उस कॉमेट पर सवार होकर आए हो सकते हैं जो अर्थ पर गिरा था। हालांकि जीवाणुओं के अंदर एलियन मैसेजेस हो सकते हैं, पर हम अब भी ये नहीं जानते कि ये कैसे दिखते होंगे। हम ज़्यादातर टेरेस्ट्रियल जीवन के बारे में जानते हैं, जहां सारी जीने वाली चीज़ें मॉलेक्यूलर तरीक़े के सेल्स से बनी होती हैं। क्योंकि अर्थ पर सारा जीवन कार्बन पर बेस्ड है, शायद हम ग़लत तरह के जीवन की तलाश में लगे हुए हैं।


सिलिकॉन पर आधारित जीवन


कई बायोकेमिस्ट्स का कहना है कि सिलिकॉन पर बेस्ड जीवन भी वजूद में हो सकता है। बल्कि, ब्रिटेन के केमिस्ट और एस्ट्रोनॉट हेलन शार्मन, जैसे कुछ साइंटिस्ट्स कहते हैं कि एलियन्स किसी ऐसी जगह पर हो सकते हैं जिसे हम देख या पढ़ नहीं सकते जैसे कि एक शैडो बायोस्फियर।


ये दिखाई ना देने वाले एलियन्स एक माइक्रोस्कोप वाले स्तर पर वजूद में हो सकते हैं जो हमारी समझ के बाहर है। क्योंकि हाल में पेंटागॉन ने यू.एफ.ओ से जुड़ी जानकारी को पब्लिक किया है कई लोगों को लगता है कि एलियन्स पहले ही हमसे मिल चुके हैं।


आने वाले कल में सेटी की मदद से हम आख़िरकार ये साबित कर सकेंगे कि हम अकेले नहीं हैं। अगर आप ऐसे और खुलासों के बारे में जानना चाहते हैं तो बने रहें हमारे साथ।


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