क्या हो अगर जुपिटर और सैटर्न आपस में टकरा जाएं?

 हमारे सोलर सिस्टम के दो सबसे बड़े प्लैनेट्स टेलिस्कोप से देखने पर एक साथ नज़र आ रहे हैं। तबाही क़रीब है। अगर जुपिटर और सैटर्न अचानक एक दूसरे की तरफ टकराव के रास्ते में बढ़ने लगते हैं।


आज हम जानेंगे कि क्या हो अगर जुपिटर और सैटर्न आपस में टकरा जाएं | Kya Ho agar Jupiter or Saturn Takra jaye?


400 सालों में जुपिटर और सैटर्न एक साथ


21 दिसंबर, 2020 के दिन जुपिटर और सैटर्न लगभग 400 सालों में एक दूसरे के सबसे ज़्यादा क़रीब थे। इस शानदार घटना का एक शानदार नाम है "The Great Conjunction" आप उस वक़्त दोनों प्लैनेट्स को टेलिस्कोप से एक साथ देख सकते थे।


क्या हो अगर जुपिटर और सैटर्न आपस में टकरा जाएं?
क्या हो अगर जुपिटर और सैटर्न आपस में टकरा जाएं?


ये रात के आसमान में एक तारे जैसे नज़र आ रहे थे। लेकिन फिर भी ये किसी टकराव से बहुत दूर थे। अगर ये दो गैस के गोले थोड़ा और पास आ जाते तो ऐसा पहली बार नहीं हो रहा होता जब जुपिटर किसी दूसरे प्लैनेट के साथ आमने-सामने से टकराता। और आप शायद अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस लड़ाई में कौन जीता था।


जुपिटर और सैटर्न की बनावट


जुपिटर और सैटर्न दोनों ही लगभग पूरे के पूरे गैस से बने हैं जिसमें ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम है। और हालांकि इनके कोर ठोस हो सकते हैं, पर इन परतों के बीच कोई साफ़ अंतर नहीं है। जुपिटर के पास कुछ बड़े फायदे होंगे।


ये सैटर्न के मुक़ाबले तीन गुना ज़्यादा बड़ा है, और इसका वॉल्यूम यानी फैलाव लगभग दोगुना है। और ये ज़्यादा तेज़ आगे बढ़ता है। जुपिटर की घूमने की रफ्तार 13 किलोमीटर प्रति सेकेंड (8.1 मील प्रति सेकेंड) पहुंच सकती हैं, वहीं सैटर्न सिर्फ़ 10 किलोमीटर प्रति सेकेंड (6 मील प्रति सेकेंड) से कम रफ्तार के साथ घूमता है।


जुपिटर V/S सैटर्न


लेकिन सैटर्न इस लड़ाई में एक नया खिलाड़ी भी साथ लाएगा। इसकी दो रिंग्स के बीच कम से कम 150 चांद और मूनलेट्स यानी छोटे चांद हैं। अगर ये प्लैनेट्स पास आते हैं, तो जुपिटर के तेज़ ग्रैविटेशनल पुल यानी गुरुत्वीय खिंचाव की वजह से चांद, मूनलेट्स, पत्थर, धूल और बर्फ़ बढ़ती रफ्तार से इसकी तरफ जाने लगेंगे।


इनमें से कुछ पूरी तरह से बिखर जाएंगे। ऐसा ही कुछ तब हुआ था जब कॉमेट शूमेकर-लीवी 9, 1994 में जुपिटर के साथ टकराया था। पहले ये कॉमेट लगभग 2 किलोमीटर (1.2 मील) चौड़ा था। लेकिन जब तक ये क्रैश हुआ जुपिटर की ग्रैविटी ने इसे टुकड़ों में बिखेर दिया था।


और वो टुकड़े जुपिटर के साथ 30 करोड़ एटॉमिक बॉम्ब्स जितने फोर्स से टकराए थे। और इससे जुपिटर के एटमॉस्फियर का तापमान बढ़कर लगभग 40,000 डिग्री सेल्सियस (72,000 डिग्री फॉरेन्हाइट) जितना हो गया था।


सैटर्न का सबसे बड़ा चांद "टाइटन"


टाइटन इस कॉमेट से दो हज़ार ये ज़्यादा गुना बड़ा है। तो सिर्फ़ इसका ही जुपिटर से टकराने का फोर्स भयानक होगा। अगर जुपिटर और सैटर्न आपस में टकरा जाते हैं, तो ये एक दूसरे में मिलने लगेंगे। इनके एटमॉस्फियर आपस में मिक्स होने लगेंगे।


जुपिटर में होगा केमिकल रिएक्शन


इससे इन दोनों गैस के गोलों के एटमॉस्फियर की ऊपरी परतों का तापमान बढ़ जाएगा। ये इतना गर्म हो जाएगा कि जुपिटर को एक केमिकल रिएक्शन का एक्स्पीरियंस होगा, और ये ज़्यादा आयरन, सिलिकेट्स और यहां तक कि पानी भी सोखने लगेगा। आख़िरकार, जुपिटर सैटर्न को सोख लेगा।


चीन की सुन याट-सेन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने उस स्थिति का एक मॉडल तैयार किया जब साढ़े चार अरब साल पहले अर्थ से लगभग 10 गुना बड़ा भारी प्लैनेटरी "इम्ब्रियो" जुपिटर के साथ टकराया था। इसके असर में इतनी एनर्जी थी कि इसने जुपिटर के असल कॉम्पैक्ट यानी ठोस कोर को बर्बाद कर दिया। इससे लिक्विड मेटालिक हाइड्रोजन और हीलियम के गाढ़े मेल का एक ज़्यादा पतला कोर बन गया था। लेकिन अगर जुपिटर सैटर्न के साथ टकराता है तो ये इवेंट 10 गुना ज़्यादा भयानक होगा।


नया जुपिटर या जुपिटर्नस


स्पेस में भारी मात्रा में मटीरियल फैल जाएगा। और फिर ये सारा मटीरियल एक साथ आकर एक प्लैनेट जैसा ऑब्जेक्ट बना लेगा। हम इसे नया जुपिटर या जुपिटर्नस कह सकते हैं। और शायद, उस नए प्लैनेट से सोलर सिस्टम में जितना आप सोच रहे हैं, उससे ज़्यादा तबाही होगी।


जुपिटर एक असफल तारा


जुपिटर को एक फेल्ड स्टार यानी असफल तारा कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका साइज़ और बनावट एक ब्राउन ड्वार्फ से मिलता-जुलता है। लेकिन जुपिटर्नस ज़्यादा भारी होगा और उसमें ज़्यादा अंदरूनी प्रेशर भी होगा।


जुपिटर्नस एक तारा बन सकता है


अगर तापमान ज़्यादा गर्म होता है, तो इसके कोर में न्यूक्लियर फ्यूज़न होने लगेगा। जी हाँ, जुपिटर्नस एक तारा बन सकता है। और हमारे पड़ोस में दो तारों के होने का असर बहुत बड़ा होगा इससे अर्थ पर जीवन का ख़ात्मा भी हो सकता है।


अब चिंता मत करिए। अगर ये दो प्लैनेट्स आपस में मिल जाते हैं, तो जुपिटर्नस के पास जुपिटर के मुक़ाबले 30 परसेंट ज़्यादा भार होगा। न्यूक्लियर फ्यूज़न शुरू होने के लिए इस प्लैटेन का 75 जुपिटरों जितने भार तक पहुंचना ज़रूरी होगा। तो अर्थ पर जीवन ऐसे ही जारी रहेगा।


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