एक ब्लैक होल हमारे सूरज से टकराव के रास्ते में है। और आपके पास चुपचाप बैठकर पूरे सोलर सिस्टम की बर्बादी देखने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
दोस्तो आज हम जानेंगे कि "क्या हो अगर सूरज एक ब्लैक होल से टकरा जाए | Kya Ho Agar suraj ek black holl se takra jaye | क्या सूरज के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव होगा?"
ब्लैक होल की बनावट
एक ब्लैक होल ऐसे किसी ऑब्जेक्ट से ज़्यादा अलग नहीं होता जिसमें भार हो। बस ये बहुत डेंस यानी घना होता है। बहुत ही डेंस। इसके अंदर मौजूद सारा मैटर इसके सेंटर में मौजूद एक बेहद छोटे प्वाइंट में कम्प्रेस्ड यानी दबा हुआ होता है, जिसे सिंग्युलैरिटी कहा जाता है। ज़्यादातर ब्लैक होल्स बड़े तारों का बचा हुआ हिस्सा होते हैं। और ठीक उन्हीं तारों की तरह ब्लैक होल्स के पास एक मज़बूत ग्रैविटेशनल पुल यानी गुरुत्वीय खिंचाव होता है।
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क्या हो अगर सूरज एक ब्लैक होल से टकरा जाए | क्या सूरज के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव होगा? |
जितना ज़्यादा मैटर इसकी सिंग्युलैरिटी में कम्प्रेस्ड होता है, इसकी ग्रैविटी उतनी ही मज़बूत होती है। जितने यूनिवर्स को हम जानते हैं, उसमें 40 क्विंटिलियन ब्लैक होल्स हो सकते हैं, यानी 40 के आगे 18 ज़ीरो। इनमें से कई अपनी गैलेक्सीस के सेंटर में मौजूद हैं, जैसे कि हमारी जानकारी में सबसे नज़दीक ब्लैक होल "सैजिटेरियस A" ये ठीक मिल्की वे के सेंटर पर मौजूद है।
ब्लैक होल्सआवारा भी हो सकते हैं
दो गैलेक्सीस के बीच टकराव जैसे एक बड़े इवेंट के बाद, एक ब्लैक होल आज़ाद होकर घूमना शुरू कर सकता है। सिर्फ़ हमारी गैलेक्सी में ही 12 ऐसे आवारा ब्लैक होल्स हैं। और हो सकता है कि इनमें से एक इस वक़्त हमारे सूरज की तरफ बढ़ रहा हो।
क्या हो अगर एक ब्लैक होल हमारे सोलर सिस्टम में आ जाए
अगर एक घूमता हुआ ब्लैक होल हमारे सोलर सिस्टम की तरफ़ आ रहा होगा, तो ये पहले ऊर्ट क्लाउड में पहुंचेगा। ये हमारे सोलर सिस्टम के इर्द-गिर्द बना हमसे दो लाइट-इयर्स की दूरी पर मौजूद बर्फ़ीले ऑब्जेक्ट्स का एक घेरा है।
जैसे ही एक ब्लैक होल ज़्यादा क़रीब आएगा इस जगह के सारे बर्फ़ीले ऑब्जेक्ट्स अपने ऑर्बिट से बाहर चले जाएंगे। आप ख़ुद ब्लैक होल को तब तक नहीं देख सकेंगे, जब तक ये बर्फ़ के गोलों नेप्च्यून और यूरेनस तक नहीं पहुंच जाता।
टेलिस्टोप से देख पाएंगे ब्लैक होल को
एक अच्छी टेलिस्टोप से देखने पर आपको इन प्लैनेट्स से खिंच कर अलग होती गैसेस दिखाई देंगी। नेप्च्यून और यूरेनस से अलग हुई सारी गैसेस और धूल ब्लैक होल के आस-पास एक इलाक़ा बना लेंगी जिसे एक एक्रीशन डिस्क कहा जाता है।
ये गैस और धूल का बेहद गर्म कलेक्शन ब्लैक होल के चक्कर लगाने लगेगा जिससे ब्लैक होल दिखाई देने लगेगा। जैसे-जैसे ये बर्बादी के रास्ते में आगे बढ़ेगा आप जुपिटर और सैटर्न का भी ऐसा ही हाल होता देखेंगे।
पूरे सोलर सिस्टम को निगल लेगा ये ब्लैक होल
आप अपनी कोरी आंखों से गैस के इन गोलों को हमारे रात के आसमान से ग़ायब होते देखेंगे। मार्स, वीनस और मर्करी जैसे अंदर से पथरीले प्लैनेट्स भी ब्लैक होल में खिंच जाएंगे और आप इन्हें अपनी आंखों के सामने बर्बाद होकर ख़त्म होते देखेंगे।
सिर्फ़ अर्थ बची रह जाएगी। मतलब, असल में नहीं। मैं बस ये नहीं चाहता कि आप सोलर सिस्टम की तबाही का ये शो देखने से चूक जाएं। जब ये ब्लैक होल हमारे सूरज की तरफ़ बढ़ेगा शायद आपको लग रहा हो कि ये एक झटके मे इसे निगल लेगा। बल्कि मज़ूबत ग्रैविटेशनल पुल सूरज से मैटर को खींचने लगेगी।
ठीक ऐसे जैसे किसी ऊन के गोले से खिंचता हुआ एक धागा। भारी मात्रा में गैस हमारे सूरज से अलग होती जाएगी। और ब्लैक होल के आस-पास पड़ोसी प्लैनेट्स की गैस और धूल से बनी एक्रीशन डिस्क में शामिल हो जाएगी।
सूरज की ये तबाही तब तक जारी रहेगी जब तक हमारा ये तारा पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो जाता। इसके बाद बचा रह जाएगा सिर्फ़ एक गैस का बादल। इस बादल की पूंछ का भी सिर्फ़ आखि़री हिस्सा ब्लैक होल में खिंचने से बचा रह जाएगा।
भारी मात्रा में होंगे रेडिएशन का बरसात
जब सूरज का मैटर सोखा जा रहा होगा तब तेज़ धमाकों के साथ अल्ट्रावायलेट और एक्स-रे रेडिएशन की जानलेवा मात्रा निकल रही होगी। ये रेडिएशन सीधा आपकी ओर अर्थ तक आ रही होगी। आपको आठ मिनट के लिए ये नहीं पता होगा कि सूरज का आखि़री नतीजा क्या हुआ। ये वो वक़्त है जो इसकी रोशनी को हम तक पहुंचने के लिए लगता है।
लेकिन हमारे सोलर सिस्टम का रोशनी का सोर्स एक बार में ख़त्म करने की जगह ब्लैक होल ख़ुद बेहद रोशन हो जाएगा। शायद हमारे सूरज के मुक़ाबले खरबों गुना ज़्यादा चमकदार। और जब सूरज को निगल लिया जाएगा तो हमारे सोलर सिस्टम का जो भी कुछ बचा रह गया है उसकी स्थिरता भी पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी।
एक बिल्कुल नया ग्रैविटेशनल संतुलन बनने की ज़रूरत होगी। और अर्थ पर बरसती उस सारी जानलेवा रेडिएशन के साथ टाइड्स लाने वाली भयानक ताक़तें पूरे प्लैनेट को आगे पीछे धकेलेंगी। इससे अर्थक्वेक्स, ज्वालामुखी धमाके और सुनामियां आएंगी। आखि़रकार, अर्थ के टुकड़े हो जाएंगे। या बहुत अच्छे हालात हुए तो, ये सोलर सिस्टम से बाहर ही हो जाएगी। सच्चाई ये है कि आप और हमारे प्लैनेट की हर चीज़ सोलर सिस्टम की बाक़ी चीज़ों की तरह एक्रीशन डिस्कमें ही खिंच जाएगी।
दोस्तो आज का ये पोस्ट "क्या हो अगर सूरज एक ब्लैक होल से टकरा जाए | Kya Ho Agar suraj ek black holl se takra jaye | क्या सूरज के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव होगा?" आपको कैसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताएं।
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