दोस्तो अगर ये मुमक़िन हो तो क्या आप चांद पर रहना चाहेंगे? शुरुआत में सेटल होने वाले एक हिम्मत से भरे शख़्स की तरह नहीं बल्कि एक पूरी तरह से कारगर चांद पर बने शहर के नागरिक के तौर पर।
चांद में बनेगा गुंबदनुमा शहर
![]() |
क्या हो अगर हम चांद पर शहर बसा लें | क्या चांद पर जीवन संभव है |
2005 में शैकलटन डोम नाम के एक डिज़ाइन से एअरोस्पेस यानी भूमंडल इंडस्ट्री में खलबली मच गई थी। ये 40 किलोमीटर (25 मील) के डायमीटर वाला 1,524 मीटर (5,000 फीट) ऊंचा ग्लास का डोम यानी गुंबद चांद के शैकलटन क्रेटर के ऊपर बनेगा और चांद पर बना पहला शहर इसके अंदर होगा।
गुंबद सबसे मज़बूत ढांचे होते हैं और हवा के प्रेशर को सहने के लिए ये सबसे कारगर शेप होते हैं तो स्पेस के ख़तरों से लोगों को बचाने के लिए गुंबद बनाना एक सही फैसला होगा। लेकिन शैकलटन डोम की तरह आपस में बने छोटे गुंबद बनाने का काम जल्दी और कम खर्च में हो जाएगा।
ग्लास और टाइटेनियम से बनेगा गुम्बद
ये ग्लास और टाइटेनियम से बने होंगे और नीचे मौजूद पत्थरों के साथ मजबूती से बंधे होंगे, जिससे चांद के शहर अंदर से पनप सकेंगे। ये शहर ख़ुद ही काफ़ी मॉडर्न लगने वाले हैं। और इसलिए नहीं कि इसमें स्टाइल से भरी चीज़ें होंगी बल्कि इसलिए कि ग्लास के दो मेन हिस्से अल्यूमिनम और सिलिकॉन वो एलिमेंट्स हैं जो एनॉर्थाइट में पाए जाते हैं।
गुम्बद बनने का मैट्रियल मिलेगा चांद में
एनॉर्थाइट एक मिनरल है जो चांद पर पाया जाता है और वहां शहर बनाने में काम आने वाला एक अहम रिसोर्स होगा। क्योंकि आस-पास की जगह इससे भरी होगी, ये बेवक़ूफी होगी कि हम अच्छी तरह से इसका इस्तेमाल ना करें।
इस भविष्य के शहर में जो एक और जाना-माना मटीरियल है, वो है एक कंक्रीट जैसा जियोपॉलिमर जिसे दो और आसानी से मिलने वाले मटीरियल्स को मिला कर बनाया जाएगा है। चांद की धूल और आपका यूरिन। जी हां, आपका चांद का घर यूरिन से बनेगा।
दो हफ्तों का अंधेरा और दो हफ्तों की रोशनी
यहां आपको कोई आम दिन और रात नहीं मिलने वाले। जिसका मतलब है दो हफ्तों का अंधेरा और दो हफ्तों की रोशनी। लेकिन क्योंकि इन शहरों को चांद के पोल्स के पास बनाया जाएगा, आपको एक साथ अर्थ के सिर्फ़ चार दिनों जितने वक़्त का अंधेरा झेलना होगा।
आपकी डाइट भी बदल जाएगी
कम रिसोर्सेस और सीमित जगह के चलते चांद के शहरों में खाने के लिए जानवरों को नहीं पाला जा सकेगा तो आपकी डाइट ज़्यादातर पौधों पर ही बेस्ड होगी।
आपके पास मछली खाने का ऑप्शन हो सकता है लेकिन दूसरी किसी भी तरह का मीट अर्थ से जमा हुआ मंगाया जाएगा और ये करना फ़ायदेमंद नहीं होगा।
चांद की मेन इंडस्ट्री
हीलियम-3 मतलब एनर्जी का एक रिन्यूएबल सोर्स उसकी और दूसरी चीज़ों की माइनिंग और एक्स्पोर्ट की होगी। शायद आप एक साइंटिस्ट का काम करेंगे या इंजीनियर या फिर माइनर का।
जैसे-जैसे अर्थ अपने क़ीमती रिसोर्सेस को ख़त्म करती जाएगी हीलियम-3 की डिमांड बढ़ती जाएगी। हीलियम-3 न्यूक्लियर रिएक्टर्स का एक अहम फ्यूल सोर्स है और इसका एक आउंस यानी क़रीब 28 ग्राम लगभग 40,000 अमेरिकी डॉलर का बिकता है।
इसकी सिर्फ़ 22700 किलोग्राम (25 टन) की मात्रा से अमेरिका जितने बड़े देश को एक साल के लिए पावर दी जा सकती है। हालांकि अर्थ पर ये बहुत मुश्किल से मिलता है, पर चांद पर ये भारी मात्रा में पाया जाता है।
चांद से ढेर सारी दौलत आएगी
इस एक्स्पोर्ट के साथ-साथ स्पेस की खोज और चांद का टूरिस्म मिलाकर चांद के शहरों में ढेर सारी दौलत आएगी और उससे हम शुरुआती कॉलोनीज़ और शहर बनाने में लगने वाला खर्च निकाल सकेंगे। इस काम में 10 अरब डॉलर का खर्च आएगा, जिसमें हर साल 2 अरब डॉलर का खर्च जारी रहेगा। चांद पर शहर बनाने का काम कॉर्पोरेट और सरकारों की पार्टनरशिप की इंटरनेशनल जोड़ी के साथ ही मुमक़िन हो सकेगा।
कोई भी देश चांद पर हक़ नहीं जमा सकता
इस वक़्त ट्रीटीज़ यानी संधियों की वजह से कोई भी देश चांद पर हक़ नहीं जमा सकता। अगर एक देश चांद पर एक मेट्रोपॉलिटेन शहर बना लेता है, तो इसे उन ट्रीटीज़ के उल्लंघन के तौर पर देखा जा सकता है।
किसी भी देश या राष्ट्र के ना होने पर चांद पर रहने वाले नागरिक शायद ख़ुद को निर्भर बनने के बाद अपनी अलग सरकार वाला देश बनाने की कोशिश करेंगे।
चांद पर सेटल होने से साइंस में एक कदम और आगे जाएंगे
हालांकि गुंबद वाले चांद के सेंटर्स सुनने में साइंस फिक्शन जैसे लगते हैं पर ये हमारे दूर के आने वाले कल की हक़ीक़त हो सकते हैं। चांद पर सेटल होने से साइंस, इंजीनियरिंग, नए तरीक़े की सोच, और स्पेस की आगे की खोज के कई मौक़े बनेंगे।
ये ज़रूरी होगा कि हम एक रहने लायक स्पेस बेस बनाएं ताकि यूनिवर्स के बाक़ी हिस्सों तक पहुंच बना सकें। लेकिन इससे पहले कि हम अपने चांद पर बड़े शहर खड़े कर दें, हमें इससे पहले शुरुआती छोटी कॉलोनीज़ बनानी होंगी।
0 Comments